श्रीदेवीचे १०८ शक्तिपीठे
01/03/2022
माता सती के शव के विभिन्न अंगों से बावन शक्तिपीठों का निर्माण हुआ था। इसके पीछे यह अंतर्कथा है कि दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में ‘बृहस्पति सर्व’ नामक यज्ञ रचाया। उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन जान-बूझकर अपने जमाता भगवान शंकर को नहीं बुलाया। शंकरजी की पत्नी और दक्ष की पुत्री सती पिता द्वारा न बुलाए जाने पर और शंकरजी के रोकने पर भी यज्ञ में भाग लेने गईं। यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया। इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को अपशब्द कहे। इस अपमान से पीड़ित हुई सती ने यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी। भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। भगवान शंकर के आदेश पर उनके गणों के उग्र कोप से भयभीत सारे देवता ऋषिगण यज्ञस्थल से भाग गये। भगवान शंकर ने यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और दुःखी हुए इधर-उधर घूमने लगे। तदनंतर सम्पूर्ण विश्व को प्रलय से बचाने के लिए जगत के पालनकर्त्ता भगवान विष्णु ने चक्र से सती के शरीर को काट दिया। तदनंतर वे टुकड़े 52 जगहों पर गिरे। वे ५२ स्थान शक्तिपीठ कहलाए। सती ने दूसरे जन्म में हिमालयपुत्री पार्वती के रूप में शंकर जी से विवाह किया। श्री देवी भागवत में वर्णित, राजा जन्मेजय द्वारा पूछे जाने पर व्यास जी द्वारा जिन १०८ शक्ति पीठो का वर्णन किया गया वो निम्नलिखित हैं। १. वाराणसी में देवी विशालाक्षी। २. नैमिषारण्य क्षेत्र में देवी लिंग्धारिणी। ३. प्रयाग में देवी ललिता। ४. गंधमादन पर्वत पर देवी कामुकी। ५. दक्षिण मानसरोवर में देवी कुमुदा। ६. उत्तर मानसरोवर में, सर्व कामना पूर्ण करने वाली देवी विश्वकामा। ७. गोमान्त पर देवी गोमती। ८. मंदराचल पर देवी कामचारिणी। ९. चैत्ररथ में देवी मदोत्कता। १०. हस्तिनापुर में देवी जयंती। ११. कन्याकुब्ज में देवी गौरी। १२. मलयाचल पर देवी रम्भा। १३. एकाम्र पीठ पर देवी कीर्तिमती। १४. विश्वपीठ पर देवी विश्वेश्वरी। १५. पुष्कर में देवी पुरुहूता। १६. केदार स्थल पर देवी सन्मार्गदायनी। १७. हिमात्वपीठ पर देवी मंदा। १८. गोकर्ण में देवी भद्र कर्णिका। १९. स्थानेश्वर में देवी भवानी। २०. बिल्वक में देवी बिल्वपत्रिका। २१. श्रीशैलम में देवी माधवी। २२. भाद्रेश्वर में देवी भद्र। २३. वरह्पर्वत पर देवी जया। २४. कमलालय में देवी कमला। २५. रुद्रकोटि में देवी रुद्राणी। २६. कालंजर में देवी काली। २७. शालग्राम में देवी महादेवी। २८. शिवलिंग में देवी जलप्रिया। २९. महालिंग में देवी कपिला। ३०. माकोट में देवी मुकुटेश्वरी। ३१. मायापुरी में देवी कुमारी। ३२. संतानपीठ में देवी ललिताम्बिका। ३३. गया में देवी मंगला। ३४. पुरुषोतम क्षेत्र में देवी विमला। ३५. सहस्त्राक्ष में देवी उत्पलाक्षी। ३६. हिरण्याक्ष में देवी महोत्पला। ३७. विपाशा में देवी अमोघाक्षी। ३८. पुंड्रवर्धन में देवी पाडला। ३९. सुपर्श्व में देवी नारायणी। ४०. चित्रकूट में देवी रुद्रसुन्दारी। ४१. विपुल क्षेत्र में देवी विपुला। ४२. मलयाचल में देवी कल्याणी। ४३. सह्याद्र पर्वत पर देवी एकवीर। ४४. हरिश्चंद्र में चन्द्रिका। ४५. रामतीर्थ में देवी रमण। ४६. यमुना में देवी मृगावती। ४७. कोटितीर्थ में देवी कोटवी। ४८. माधव वन में देवी सुगंधा। ४९. गोदावरी में देवी त्रिसंध्या। ५०. गंगाद्वार में देवी रतिप्रिया। ५१. शिवकुंड में देवी सुभानंदा। ५२. देविका तट पर देवी नंदिनी। ५३. द्वारका में देवी रुकमनी। ५४. वृन्दावन में देवी राधा। ५५. मथुरा में देवी देवकी। ५६. पाताल में देवी परमेश्वरी। ५७. चित्रकूट में देवी सीता। ५८. विन्ध्याचल पर देवी विध्यवासिनी। ५९. करवीर क्षेत्र में देवी महालक्ष्मी। ६०. विनायक क्षेत्र में देवी उमा। ६१. वैद्यनाथ धाम में देवी आरोग्य। ६२. महाकाल में देवी माहेश्वरी। ६३. उष्ण तीर्थ में देवी अभ्या। ६४. विन्ध्य पर्वत पर देवी नितम्बा। ६५. माण्डवय क्षेत्र में देवी मांडवी। ६६. माहेश्वरी पुर में देवी स्वाहा। ६७. छगलंड में देवी प्रचंडा। ६८. अमरकंटक में देवी चंडिका। ६९. सोमेश्वर में देवी वरारोह। ७०. प्रभास क्षेत्र में देवी पुष्करावती। ७१. सरस्वती तीर्थ में देव माता। ७२. समुद्र तट पर देवी पारावारा। ७३. महालय में देवी महाभागा। ७४. पयोष्णी में देवी पिन्गलेश्वरी। ७५. कृतसौच क्षेत्र में देवी सिंहिका। ७६. कार्तिक क्षेत्र में देवी अतिशंकारी। ७७. उत्पलावर्तक में देवी लोला। ७८. सोनभद्र नदी के संगम पर देवी सुभद्रा। ७९. सिद्ध वन में माता लक्ष्मी। ८०. भारताश्रम तीर्थ में देवी अनंगा। ८१. जालंधर पर्वत पर देवी विश्वमुखी। ८२. किष्किन्धा पर्वत पर देवी तारा। ८३. देवदारु वन में देवी पुष्टि। ८४. कश्मीर में देवी मेधा। ८५. हिमाद्री पर्वत पर देवी भीमा। ८६. विश्वेश्वर क्षेत्र में देवी तुष्टि। ८७. कपालमोचन तीर्थ पर देवी सुद्धि। ८८. कामावरोहन तीर्थ पर देवी माता। ८९. शंखोद्धार तीर्थ में देवी धारा। ९०. पिंडारक तीर्थ पर धृति। ९१. चंद्रभागा नदी के तट पर देवी कला। ९२. अच्छोद क्षेत्र में देवी शिवधारिणी। ९३. वेण नदी के तट पर देवी अमृता। ९४. बद्रीवन में देवी उर्वशी। ९५. उत्तर कुरु प्रदेश में देवी औषधि। ९६. कुशद्वीप में देवी कुशोदका। ९७. हेमकूट पर्वत पर देवी मन्मथा। ९८. कुमुदवन में सत्यवादिनी। ९९. अस्वथ तीर्थ में देवी वन्दनीया। १००. वैश्वनालय क्षेत्र में देवी निधि। १०१. वेदवदन तीर्थ में देवी गायत्री। १०२. भगवान् शिव के सानिध्य में देवी पार्वती। १०३. देवलोक में देवी इन्द्राणी। १०४. ब्रह्मा के मुख में देवी सरस्वती। १०५. सूर्य के बिम्ब में देवी प्रभा। १०६. मातृकाओ में देवी वैष्णवी। १०७. सतियो में देवी अरुंधती। १०८. अप्सराओ में देवी तिलोतम्मा। १०९. शारीर धारिओ के शारीर में या चित में ब्रह्मकला।
श्री तुळजा कवच
01/03/2022
“श्री गणेशाय नमः अथ तुळजा कवचम् | श्री देव्युवाच देवेश परमेशान भवतानुग्रहकारक तुळजाकवचम् वक्ष्ये मम प्रीत्या महेश्वर || शृणुदेवी महागुह्यं गुहतरं महत् || तुळजा कवचम् वक्ष्ये न देयं कस्याचित् ||” “ श्री शंकर उवाच | तुळजा मी शिरः पातु भाले तू परमेश्वरी | नेत्रे नारायणी रक्षेत्कर्णमूले तू शांकरी ||१|| ” श्री शंकर म्हणाले, तुळजादेवी माझ्या मस्तकाचे रक्षण ,नारायणी दोन्ही कर्णमुळांचे (कानांचे) रक्षण शांकरी करो. “ मुखंपातु महामाया कण्ठम् भुवनसुंदरी | बाहुद्वयम् विश्वमाता हृदयंशिववल्लभा ||२|| ” माझ्या मुखाचे रक्षण महामाया ,कंठाचे रक्षण भुवनसुंदरी करो, दोन्ही हातांचे रक्षण विश्वमाता, तसेच हृदयाचे रक्षण शिववल्लभा करो. “नाभिं कुंडलिनीपातु जानुनी जान्हवी तथा | पादयो: पापनाशींच पादग्रम सर्वतीर्थवत् ||३|| ” नाभिंचे रक्षण कुंडलिनी, गुडघ्याचे रक्षण जान्हवी, तसेच पायांचे रक्षण आणि सर्वतीर्थाप्रमाणे असणाऱ्या पायांच्या टोकांचे रक्षण पापनाशिनी करो. “इंद्रायणी पातु पूर्वे आग्नेय्याम् अग्निदेवता | दक्षिणे नारसिंहीच नैऋत्याम् खड्ग धारिणी ||४||” पूर्वेकडे इंद्रायणी तर आग्नेय दिशेकडे आग्नेय देवी रक्षण करो, दक्षिणेकडे नारसिंही, तर नैऋत्येकडे खड्गधारिणी रक्षण करो. “पश्चिमेवारुणी पातु वायव्याम् वायुरुपिणी | उदीच्या पाशहस्ताच ईशान्ये ईश्वरी तथा ||५|| ” पश्चिमेकडे वारुणी आणि वायव्येकडे वायुरुपिणी, उत्तरेकडे पाशधारण करणारी देवी, तर ईशान्येकडे ईश्वरी रक्षण करो. “ऊर्ध्वंब्रह्मणिमे रक्षेद् दधास्या वैष्णवी तथा | एवं दशदिशोरक्षेत् सर्वांगे भुवनेश्वरी ||६|| ” उर्ध्व दिशेकडे ब्रह्माणी तर अधो दिशेकडे वैष्णवी रक्षण करो, शरीरातील अशा दहा दिशांचे रक्षण भुवनेश्वरी करो. “इदं तु कथितं दिव्यम् सर्वदेहिकम् | भूतग्रह हरं नित्य ग्रहपिडा तथैवच ||७|| ” हे सर्व शरीराचे करणारे असे दिव्य कवच सांगितले. हे भूतबाधा आणि ग्रहपीडा कायम दूर करणारे आहे. “सर्व पापहरेदेवी अंते सायुज्य प्राप्नुयात् | यत्र तत्र न ववतव्यं यदिछेदात्मनोहितम् ||८|| ” हे सर्व पापांचा नाश करणाऱ्या देवी कवचाचे पठण करणाऱ्यास शेवटी सायुज्य मुक्ती प्राप्त होईल. स्वतःचे कल्याणकरू इच्छिनाऱ्यांने हे भलत्यासलत्या ठिकाणी सांगू नये. “शठाय भक्तिहीनाय विष्णुद्वेषाय वै तथा | शिष्याय भक्तीयुक्ताय साधकाय प्रकाशयेत ||९|| ” शठ भक्तिहीन तसेच विष्णूचा द्वेष करणाऱ्या कोणालाही हे कवच सांगू नये. शिष्य-भक्तियुक्त अशा साधकाला मात्र ते प्रकट करावे. “दध्यात कवचमियुक्तम् तत्पुण्यं शृणुपार्वती | अश्वमेध सहस्त्राणि कन्याकोटी शचानिच ||१०|| ” हे कवच कोणत्या प्रकारचे पुण्य देईल ते पार्वती तु सांग.(पार्वती म्हणाली)हजारो अश्वमेध केल्याचे,शंभर कोटी संख्यात्मक कन्यादान केल्याचे पुण्य--- “गवाम् लक्षसहस्राणि तत्पुण्यं लभते नरः | अष्टम्यां चतुर्दश्यां नवम्यां चैक चेतसा ||११|| ” ते पुण्य या कवच पठणाने माणसास प्राप्त होईल. अष्टमीला(शुक्ल), चतुर्दशीला आणि नवमीला एकचित्ताने या कवचाचा पाठ केल्यास हे पुण्य प्राप्त होईल. “सर्व पाप विशुद्धात्मा सर्व लोक सनातनम् | वनेरणे महाघोरे भयवादे महाहवे ||१२|| ” सर्व लोकांत सर्व पापांपासून शुद्धी देणारे, सनातन काळापासून चालत आलेले हे कवच आहे. “जपेत्कवच मा देवि सर्वविघ्नविनाशिनी | भौमवार महापुण्ये पठत्कवचमाहितः ||१३|| ” सर्व विघ्नांच्या नाश करणाऱ्या, हे देवी, महाघोर अशा अरण्यात असेच युद्धभूमीवर आणि भयंकर अशा वादविवादप्रसंगी तसेच मंगळवारी महापुण्यदायक अशा पर्वकाळी, एकचित्त करून या कवचाचा पाठ करावा. “सर्वबाधा प्रशमनम् रहस्य सर्वदेहिनाम् | किमत्र बहुनोवतेन देवीसायुज्य प्राप्नुयात् ||१४|| ” हे रहस्यमय कवच सर्व प्राणीमात्रांच्या सर्व प्रकारच्या बाधांचे निवारण करते.फार काय सांगावे त्या साधकाला शेवटी सायुज्य मुक्ती प्राप्त होईल. “इति श्री स्कंद पुराणे सहयाद्री खंडे तुरजामहात्मे ईश्वर पार्वती संवादे श्री तुरजा कवचम् संपूर्णम् |श्री उमारामेश्वरार्पणस्तु ||” असे हे स्कंद पुराणातील सह्याद्री खंडातील तुरजा महात्म्यातील ,ईश्वर पार्वती संवादातील, तुळजा कवच संपूर्ण झाले.श्री उमारामेश्वरास अर्पण असो.
श्री तुळजाभवानी देविजीची आरती
01/03/2022
दुर्गे दुर्गटभारी तुजविण संसारी अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी वारी वारी जन्म मरणांतें वारी हारी पडलो आता संकट निवारी॥१॥ जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथिनी सुरवर ईश्वरदे तारक संजीवनी, जय देवी जय देवी ॥धृ॥ त्रिभुवनी भुवनी पाहता तुज ऐसे नाही चारी श्रमले परंतु न बोलवे काही साही विवाद करता पडले प्रवाही ते तू भक्तांलागी पावसि लवलाही॥२॥ जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथिनी सुरवर ईश्वरदे तारक संजीवनी, जय देवी जय देवी ॥धृ॥ प्रसन्नवदने प्रसन्न होशी निजदासा क्लेशापासुन सोडी तोडी भवपाशा अंबे तुजवाचून कोण पुरवील आशा नरहरि तल्लिन झाला पदपंकजलेशा॥३॥ जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथिनी सुरवर ईश्वरदे तारक संजीवनी, जय देवी जय देवी ॥धृ॥
Shri Tuljabhavani Shardiya Navratri Festival - 2022
18/09/2022
ಶ್ರೀ ತುಳಜಾಭವಾನಿ ಶಾರದೀಯ ನವರಾತ್ರಿ ಉತ್ಸವ - 2022 1) ರಾತ್ರಿ ಶ್ರೀ ತುಳಜಾಭವಾನಿಯ ಮಂಚಕಿ ನಿದ್ರಾ ಆರಂಭ. ಶನಿವಾರ 17/09/2022 ಸೋಮವಾರ 26/09/2022 ಮುಂಜಾನೆ ದೇವಿ ನವರಾತ್ರಿಯನ್ನು ಪ್ರಾರಂಭಿಸಿ, ಮಧ್ಯಾಹ್ನ 12.00 ಗಂಟೆಗೆ ಘಟಸ್ಥಾಪನೆ, ಸಿಹಾಸನ್ ಪ್ರತಿಷ್ಠಾಪನೆ 2) ಗುರುವಾರ 27/09/2022 ಶ್ರೀ ತುಳಜಾಭವಾನಿ ದೈನಂದಿನ ಪೂಜೆ ಮತ್ತು ರಾತ್ರಿ ಚಬಿನಾದಲ್ಲಿ. 3) ಬುಧವಾರ 28/09/2022 ಶ್ರೀ ತುಳಜಾಭವಾನಿ ದೈನಂದಿನ ಪೂಜೆ ಮತ್ತು ರಾತ್ರಿ ಚಬಿನಾದಲ್ಲಿ. 4) ಮಂಗಳವಾರ 29/09/2022 ರಾತ್ರಿ ಚಬಿನಾದಲ್ಲಿ ಶ್ರೀ ತುಳಜಾಭವಾನಿ ರಥ ಅಲಂಕಾರ ಪೂಜೆ ಮಹಾಪೂಜೆ 5) ಶುಕ್ರವಾರ 30/09/2022 ಲಲಿತ ಪಂಚಮಿ- ಶ್ರೀ ತುಳಜಾ ಭವಾನಿ ಮುರಳಿ ಅಲಂಕಾರ ಪೂಜೆ ಮಹಾಪೂಜೆ ರಾತ್ರಿ ಚಬಿನಾ . 6)ಶನಿವಾರ 01/10/2022 ಶ್ರೀ ತುಳಜಾಭವಾನಿ ಶೇಷ ಶಾಹಿ ಅಲಂಕಾರ ಪೂಜೆ ಮಹಾಪೂಜೆ ರಾತ್ರಿ ಚಬಿನಾ . 7)ಭಾನುವಾರ 02/10/2022 ಶ್ರೀ ತುಳಜಾಭವಾನಿ ಭವಾನಿ ತಳವಾರ ರಾತ್ರಿ ಚಬಿನಾದಲ್ಲಿ ಅಲಂಕಾರ ಪೂಜೆ ಮಹಾಪೂಜೆ. ಆನ್ಲೈನ್ ಪೂಜೆ- ವಿಧಿ ಸೇವಾ www.shrituljabhavani.in ನಲ್ಲಿ ಭೇಟಿ ನೀಡಿ . 8) ಸೋಮವಾರ 03/10/2022 ದುರ್ಗಾ ಅಷ್ಟಮಿ ಶ್ರೀ ತುಳಜಾಭವಾನಿ ( ಯಜ್ಞ ವಿಧಿ ಬೆಳಗ್ಗೆ 11.30 ಕ್ಕೆ ಆರಂಭ . ) ರಾತ್ರಿ ಚಬಿನಾದಲ್ಲಿ ಭವಾನಿ ಮಹಿಷಾಸುರಮರ್ದಿನಿ ಅಲಂಕಾರ ಮಹಾಪೂಜೆ . 9) ಗುರುವಾರ 04/10/2022 ಮಹಾನವಮಿ (ಖಂಡೇ ನವಮಿ) ಮಧ್ಯಾಹ್ನ 12.00 ಗಂಟೆಗೆ. ಯದ್ನ್ಯಾ ವಿಧಿ ) ಶ್ರೀ ತುಳಜಾಭವಾನಿ ಭವಾನಿ ಮಹಾಪೂಜಾ ಘಟೋತ್ಥಾಪನ್ - ನಗರದ ರಾತ್ರಿ ಪಾಲ್ಖಿ ಉತ್ಸವದಲ್ಲಿ 10) ಬುಧವಾರ 05/10/2022 ವಿಜಯದಶಮಿ ಮತ್ತು ಸಿಮೋಲ್ಲಂಘನ್ ಮುಂಜಾನೆ ದೇವಿಯ ಶಿಬಿಕಾ ರೋಹನ್ ಮತ್ತು ಶ್ರೀ ತುಳಜಾಭವಾನಿ ಮಂಚಕಿ ನಿದ್ರಾ . 11) ಭಾನುವಾರ 09/10/2022 ಕೋಜಗಿರಿ ಪೂರ್ಣಿಮಾ (ಪಾದಯಾತ್ರೆ) 10/10/2022 ರಂದು ಬೆಳಿಗ್ಗೆ ಶ್ರೀ ದೇವಿಯ ಸಿಂಹಾಸನಾರೋಹಣ. 12) ಸೋಮವಾರ 10/10/2022 ಶ್ರೀ ತುಳಜಾ ಭವಾನಿ ದೇವಸ್ಥಾನದ ಪೂರ್ಣಿಮಾ ಮತ್ತು ಚಬಿನಾ ಉತ್ಸವ ಸೋಲಾಪುರ ಕಟ್ಯಾ ಮತ್ತು ಜೋಗ್ವಾದೊಂದಿಗೆ. Online Puja- Vidhi seva Visit at www.shrituljabhavani.in
Manchaki nidra of Shri Tuljabhavani Devi
17/09/2022
Manchaki nidra of Shri Tuljabhavani Devi starts from 17/09/2022 evening till 25/09/2022 night, during this time devotees can perform darshan puja service of shri Tuljabhavani Devi. श्री तुळजाभवानी देवीची मंचकी निद्रा प्रारंभ दि.17/09/2022 सायंकाळ पासून ते 25/09/2022 रात्री पर्यंत आहे,या वेळेत भक्तांना श्री तुळजाभवानी देवीचे दर्शन पुजा सेवा करता येतात. www.shrituljabhavani.in ಶ್ರೀ ತುಳಜಾಭವಾನಿ ದೇವಿಯ ಮಂಚಕಿ ನಿದ್ರಾವು 17/09/2022 ಸಂಜೆಯಿಂದ 25/09/2022 ರಾತ್ರಿಯವರೆಗೆ ಪ್ರಾರಂಭವಾಗಲಿದ್ದು, ಈ ಸಮಯದಲ್ಲಿ ಭಕ್ತರು ಶ್ರೀ ತುಳಜಾಭವಾನಿ ದೇವಿಯ ದರ್ಶನ ಪೂಜೆ ಸೇವೆಯನ್ನು ಮಾಡಬಹುದು.
How to book Tuljabhavani Devi's Abhishek Pooja Pass
18/09/2022
श्री तुळजाभवानी देवीजींना अभिषेक पूजा प्रत्यक्षात भक्तांना येऊन कारण्यासाठी अभिषेक प्रवेश पास ऑनलाईन च्या माध्यमातून प्राप्त करणे अनिवार्य आहे . अभिषेक पास मंदिराच्या वेबसाईट च्या माध्यमातून स्वतः बुकिंग करावे अथवा आपल्या पुजारी यांना पास बुकिंग करणेसाठी सांगावे ,अभिषेक पास प्राप्त झाल्यावर आपणास अभिषेक पूजेच्या वेळेस पास वरील सर्व माहिती आणि ओळखपत्र तपासून प्रवेश देण्यात येईल . Abhishek Puja to Shri Tuljabhavani Devi is mandatory for devotees to actually come and get Abhishek Pravesh Pass online. Abhishek pass should be booked through the temple website or ask your priest to book the pass, after receiving the Abhishek pass you will be allowed to enter after checking all the information on the pass and identity card at the time of Abhishek Pooja. अभिषेक प्रवेश पास ऑनलाईन भरण्याची माहिती Abhishek Pass Online Information 1) प्रथम मंदिराच्या वेबसाईटवर जावे मेनू मधील ऑनलाईन सेवा यामधील अभिषेक पूजा पास मध्ये जावे. First go to the temple website and go to Abhishek Pooja Pass under Online Services in the menu. →पूजा प्रकार निवडा: पूजेची तारीख निवडा: सकाळी ६:ते ९/ सायंकाळी ७ ते ९ Select Puja Date: 6:00 am to 9:00 pm / 7:00 pm to 9:00 pm 2)अभिषेक पूजा बुकिंग फॉर्म वरील माहिती / Information on Abhishek Puja Booking Form → नाव: ईमेल आयडी: पत्ता ओळ :पत्ता :शहर:पिन कोड:देश:राज्य:जन्मतारीख (dd/mm/yyyy):वय: आधार क्रमांक:मोबाईल क्रमांक:कॅप्चा सत्यापित करा रक्कम: 50.00 इतर व्यक्तींची संख्या:व्यक्तींची संख्या निवडा भक्ताचे वय 10 वर्षांपेक्षा मोठे असावे.Name: Email Id: Address Line 1: Address Line 2: City: Pin Code: Country: State: Birth Date (dd/mm/yyyy):.Age: Aadhaar No.:Mobile No.: Verify Captcha Amount: 50.00 OtheDevotee Age Must Be Greater Than 10 Yearr 3)इतर व्यक्तींची संख्या:व्यक्तींची संख्या निवडाNumber Of Person: Select No of Persons →इतर व्यक्ती तपशील व्यक्तीचे नाव:आधार क्रमांक:जन्मतारीख (dd/mm/yyyy):गट फोटो निवडा: निवडलेली फाइल(आकार 50kb पेक्षा कमी असणे आवश्यक आहे.)सूचना मी वरील अटी आणि नियमांशी सहमत आहे Other Person Details Name Of Person:Aadhaar No.: Birth Date (dd/mm/yyyy): Select Group Photo:file chosen(Size must be less than 50kb.)Instructions I Agree the above Terms & Conditions 4)ऑनलाईन पेमेंट आणि पास प्रिंट Online Payment and Pass Print →ऑनलाईन पेमेंट करावे . पेमेंट पूर्ण झाल्यावर पास प्रिंट काढावी Make online payment. Take a print out of the pass after completing the payment 5)श्री तुळजाभवानी मंदिर कार्यालय संपर्क Shri Tuljabhavani Temple Office Contact → address :- Mahadwar Road, Tuljapur, Dist. Osmanabad, Maharashtra. 413601, India shreetuljabhavanitemple@gmail.com 02471 - 242031 अभिषेक पास बुकिंग यंत्रणा बाबत भाविक भक्त यांना माहिती होण्यासाठि हा छोटासा प्रयत्न केला आहे . This small effort has been made to make Abhishek pass booking system known to devotees. Shri Nagesh Kalidas Salunke Chief Priest of Shri Tuljabhavani Devi Srikshetra Tuljapur www.shrituljabhavani.in 9923050807